किस कर्तव्य का पालन करें, और किसका नहीं?

कर्म का अर्थ है जो तुम करते हो, कर्तव्य माने वो कर्म जो तुम्हें करने लायक लगता है, अब हर व्यक्ति वही कर रहा होता है जो उसे करने लायक लगता है तो ले-दे कर अपनी दृष्टि से सब अपने कर्तव्य का ही पालन कर रहे हैं। कर्तव्य की जो हमारी अवधारणा है वही वो जाल है जिसमें हम फँसे हुए हैं। हमें लगता है ये चीज़ तो हमें करनी ही चाहिए, तुम्हें कैसे पता कोई चीज़ तुम्हारा कर्तव्य है?