किसे आदर्श बनायें?
अगर किसी की संगति आपको अशांत कर रही है, मन में भ्रम और बढ़ता जा रहा है, मन पर धुंधलापन छाता जा रहा है तो इसे आप अपनी बेहतरी तो नहीं कहोगे न?
हम में से हर कोई चाहता है बेहतर इंसान हो पाना।
आप कब बोलते हो कि आप पहले से बेहतर इंसान हो पाए?
जब आप पाते हो आप साफ़ सोच पा रहे हो, साफ़ देख पा रहे हो, डर कम रहे हो, चीज़ों को समझते हो, तमाम तरह के उकसावों के बीच भी शांत रह लेते हो, बिना उत्तेजित हुए भी शांतिपूर्ण दृढ़ता से सही काम कर लेते हो और सही काम को साफ़ नज़र से पहचान पाते हो तो आप कहते हो न कि आप एक बेहतर इंसान हो।
और बदतर इंसान किसे बोलते हैं?
जो आदमी किसी भी एक विचार पर, लक्ष्य पर, संकल्प पर कायम न रह पाए, जो कभी इधर और कभी उधर को लुढ़क जाए, जो कभी किसी के लालच में आ जाए और कभी किसी से डर जाए, जो सच्चाई से दूर और दूर होता जाए और भ्रम की ही गिरफ़्त में पड़ता जाए, इसी को आप कहते हो न बदतर इंसान?
किसी की संगति तुम्हें बेहतर इंसान बना रही है या बदतर? इसके आधार पर ही संगति चुनो।
पूरा वीडियो यहाँ देखें।
आचार्य प्रशांत के विषय में जानने, और संस्था से लाभान्वित होने हेतु आपका स्वागत है।