कितना कमाएँ, किसलिए कमाएँ?

इससे पहले कि तुम्हारी लाश जले, तुम वो पेट्रोल जला दो। यही उसकी सार्थकता है, यही औचित्य है। तो इस शरीर को भी पेट्रोल की तरह जानो। चेतना गड्डी है, शरीर पेट्रोल है। पीना नहीं है पेट्रोल, जलाना है। धन का मतलब समझ गए? हर वो चीज़ जो तुम्हें तुम्हारी मंज़िल की तरफ ले जा सके, उसका नाम है धन। जेब गरम करने का नाम धन नहीं होता। बैंक अकाउंट खुलाने का नाम धन नहीं होता।

जो कुछ भी तुम्हें मुक्ति की ओर ले जाए, उसका नाम धन है।

आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org

More from आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant