कितना कमाएँ, किसलिए कमाएँ?

इससे पहले कि तुम्हारी लाश जले, तुम वो पेट्रोल जला दो। यही उसकी सार्थकता है, यही औचित्य है। तो इस शरीर को भी पेट्रोल की तरह जानो। चेतना गड्डी है, शरीर पेट्रोल है। पीना नहीं है पेट्रोल, जलाना है। धन का मतलब समझ गए? हर वो चीज़ जो तुम्हें तुम्हारी मंज़िल की तरफ ले जा सके, उसका नाम है धन। जेब गरम करने का नाम धन नहीं होता। बैंक अकाउंट खुलाने का नाम धन नहीं होता।

जो कुछ भी तुम्हें मुक्ति की ओर ले जाए, उसका नाम धन है।

ज्ञान धन है, बल धन है। जिसको हम रुपया-पैसा कहते हैं वो भी धन हो सकता है अगर उसका इस्तेमाल मुक्ति के लिए किया जा रहा हो। जिस भी चीज़ का तुम सही इस्तेमाल सही उद्देश्य के लिए कर सको, वो धन है।

तो निर्धन कौन है?

जो अपने संसाधनों का उपयोग मुक्ति के लिए नहीं कर रहा, वो निर्धन है।

अन्तर समझना। मैंने नहीं कहा कि “जिसके पास संसाधन नहीं है, वो निर्धन है।” मैं कह रहा हूँ, “जो अपने संसाधनों का उपयोग मुक्ति के लिए नहीं कर रहा, वो निर्धन है।”

साहित्य में एक मुहावरा चलता है, “गिलहरी योगदान।” जब आपके पास बहुत संसाधन नहीं होते, लेकिन अपने संसाधनों का सही इस्तेमाल कर रहे होते हैं, तो उसको मालूम है क्या बोलते हैं? “गिलहरी योगदान।” जैसे गिलहरी के पास इतना ही संसाधन था कि वो दो-चार कण रेत के ले जा पाती थी सागर पर पुल बनाने के लिए राम का, पर वो जितना कर सकती थी उतना उसने शत-प्रतिशत किया। तो जब किसी के पास बहुत नहीं होता, पर जितना भी होता है वो उसका सार्थक इस्तेमाल कर रहा होता है, तो उसको…

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आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org