काली कमाई घर में खुशहाली लाएगी?
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आपको क्या लगता है, आप अनाप-शनाप पैसे लाकर घर में रखोगे तो उससे घर में शुभता आएगी? कतई नहीं। हाँ, उससे घर में चीजें आ जाएँगी। गाड़ियां खड़ी हो जाएँगी, नोट आप भर लेना गद्दे के भीतर और जहाँ कहीं भी। आपके वाशरूम में जाया जायेगा तो वहाँ सत्तर प्रकार के सोंदर्य प्रसाधन रखे हुए होंगे। देशी-विदेशी शैम्पू और कंडीशनर और पचास तरह की चीजें रखी होंगी। ये सब आ जायेगा घर में। प्रेम और शांति थोड़ी आ जायेंगे। अब ये आपके ऊपर है कि आप विदेशी शैम्पू को ज्यादा कीमत देते हो या प्रेम और शांति को।
माया वो है जो आपको आश्वस्त कर देती है कि विदेशी शैम्पू और गद्दे में भरे नोटों की कीमत शांति से ज्यादा है। नहीं तो कोई क्यों करेगा मुझे बताओ ना।
घटिया काम क्यों करते हो? इन्हीं सब चीजों के लिए ही तो करते हो और किसलिए करते हो?कुछ तो वहाँ मिल रहा है तभी वहाँ टिके हुए हो। जो मिल रहा है उसकी कीमत तो देखो। पूछो अपने आप से क्या पा रहा हूँ, क्या गवा रहा हूँ?
पर ये जो नफ़े-नुकसान का हमें सही आंकलन नहीं करने देती वही माया है। वो सीधे सीधे गणित भी नहीं लगाने देती क्या पाया, क्या खोया। वो बस यही बताती है कि पाया, पाया और पाया। जो खोया उसको वो छुपा जाती है। और जब तुम उल्टा चलते हो, तुम कहते हो सही राह चलूँगा, सही काम करूँगा। तो उसमें तुम्हें बस यही बताती है कि क्या खोया। वहाँ क्या पा रहे हो वो पूरी तरह छुपा जाती है। उसी का नाम माया है।
माया झूठ का नाम नहीं है। माया आधे -सच का नाम है।
सच की राह चलो तो नुकसान तो होते ही है। माया का मतलब है कि वो तुम्हें सिर्फ नुकसान देखने देगी, लाभ नहीं देखने देगी। और झूठ कि राह चलो तो फायेदे भी होते हैं। माया वो है जो तुम्हें उन फाएदों को तो बड़ा चड़ा कर प्रदर्शित करेगी। और जो नुकसान हो रहे हैं उनको पूरा दबा जाएगी।
तो एक तो बाप जी की दी हुई छूट, आसमान से उतरी है छूट और ज़मीन पर डोल रही हैं माया देवी। ये दोनों मिल कर करीब-करीब पक्का ही कर देती हैं कि आप करीब-करीब किसको चुनोगे। पहले तो गलत जीव को छूट दे दी परम पिता ने। और फिर जो उस गलत जीव को गलत छुट मिली है, उस गलत छूट का और गलत उपयोग करने के लिए बहकाने वाली आंटी खड़ी है।
अब बच सकते हो तो बचके दिखाओ।
आचार्य प्रशांत के विषय में जानने, और संस्था से लाभान्वित होने हेतु आपका स्वागत है।