काम बिगड़ते हैं क्योंकि तुम बहुत ज़्यादा करने की कोशिश करते हो

प्रश्नकर्ता (प्र): सर, सच्चा आनंद क्या है जीवन में?

आचार्य प्रशांत (आचार्य): झूठा आनदं भी कुछ होता है?

होता है, तुम्हें झूठे आनंद की ऐसी लत लगाई गई है कि अब तुम्हें पूछना भी होता है तो पूछते हो, ‘सच्चा आनंद क्या है?’ तुम्हें किसी से बोलना भी होता है कि प्रेम करते हो तो तुम जाकर बोलते हो, ‘मैं तुमसे सच्चा प्रेम करता हूँ’, तो सच्चा प्रेम…

आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org