काम तो आपके वही आएगा, जो किसी के भी काम आ सकता है, वो है सत्य।
काम तो राम ही आएगा।
आपकी सारी बातचीत के बाद, आपके सारे प्रत्यनों और प्रार्थनाओं के बाद, अंततः काम तो राम ही आना है।
आदतों पर चर्चा काम नहीं आएगी।
समस्त साधना निष्फल ही जाएगी। कुछ नहीं है जो शान्ति देगा आपको, यदि वह राम के अतिरिक्त किसी और को केंद्र में रख कर चल रहा है।