कामवासना बार-बार क्यों सताती है?
प्रश्नकर्ता: आचार्य जी, आपको सुनने के बाद जीवन में काफ़ी सुधार महसूस किया है लेकिन कामवासना की स्थिति में अभी भी असहाय रहता हूँ, ऐसा क्यों?
आचार्य प्रशांत: असहाय स्थिति तो रहेगी। जीव हो, इंसान पैदा हुए हो, संरचना ही तुम्हारी ऐसी है कि जवान होवोगे तो वासना पकड़ेगी। वह तो होगा। पर वासना भी उसको पकड़ती है ज्यादा जो पकड़ने के लिए उपलब्ध होता है।