कामवासना को लेकर शर्म और डर
प्रश्नकर्ता: प्रणाम आचार्य जी, मन में ये चलता रहता है कि आसपास के लोग क्या सोचते हैं। नफरत से डर लगता है। ये शायद देह की असुरक्षा का ही भाव है। इसका संबंध कामवासना से भी है, कामवासना को लेकर एक असहजता रहती है हमेशा से। बाहर प्रकट नहीं होने देता पर अकेले में पोर्न देखता हूँ और मैथुन भी करता हूँ। ऐसा लगता रहता है कि किसी से संबंध बनाकर तृप्त हो जाऊँगा पर अभी तक वो किया नहीं है, तिरस्कार का डर रहता है शायद। दूसरों को देखता हूँ और यही दिखता है…