काबिल-ए-तारीफ़ मैं तुम्हें चाहता हूँ

मेरी तारीफ़ से ग़मगीन न करो मुझे,
काबिल-ए-तारीफ़ मैं तुम्हें चाहता हूँ।

~ आचार्य प्रशांत

तुम बोलोगे, “आचार्य जी महान हैं,” आचार्य जी क्या हैं, ये वो जानते हैं कि तुम जानते हो? मैं जानता हूँ न मैं क्या हूँ, तुम मेरे ही बारे में मुझे कुछ बताना चाहते हो? “आचार्य जी महान हैं!” अगर तुम ये बोल सकते हो आचार्य जी महान हैं, तो तुम कल ये भी बोल सकते हो कि आचार्य जी लफंगे हैं, मुझे वो भी मानना पड़ेगा, मैं काए को मानूं! और तुम्हें पता कितना है मेरे बारे में! तुम्हें अपने बारे में कितना पता है कि मेरे बारे में पता हो जाएगा?

मुझे ये सब मत बताओ कि मुझे देख कर के, तुम्हें दिव्यता की अनुभूति होती है इत्यादि-इत्यादि। तुम आईने में अपने आप को देखो, उससे तुम्हें दिव्यता की अनुभूति हो तो अच्छी बात है, मुझे देख कर जो अनुभूती होती है, वो रातों रात बदल भी सकती है। हाँ, अपनी ज़िन्दगी के बारे में इमानदार रहो, तो वहाँ कुछ मिलेगा जो बिल्कुल पक्का होगा।

एक ताकतवर ज़िन्दगी जियें आप, बस इतना बहुत है, और कुछ है क्या ज़िन्दगी में पाने को, बताओ न! मिट्टी के हो, मिट्टी को ही जाना है, बीच में ये इतना क्या बखेड़ा और बहाना है। शांत, सरल, आज़ाद जीवन बिताओ, बहुत है, बाक़ी कुछ नहीं।

पूरा वीडियो यहाँ देखें।

आचार्य प्रशांत के विषय में जानने, और संस्था से लाभान्वित होने हेतु आपका स्वागत है

--

--

आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org