कल्पना है शहद की धार,असली प्रेम खड्ग का वार
प्रेम की भी न बस एक छवि है, एक धारणा, कि प्रेम का अर्थ है कि ‘अच्छे-अच्छे से रहना, अच्छा व्यवहार’। “अगर मैं अपने पति से प्रेम करती हूँ तो मुझे उसे दुःख नहीं पहुँचाना चाहिए।” प्रेम को तुम लोगों ने ऐसे समझ रखा है जैसे कोई प्यारा सा खिलौना हो। प्रेम का नाम लेते ही खिलौने की तस्वीर आती है दिमाग में; और प्रेम होता है तलवार। तो सब उल्टा-पुल्टा चल रहा है काम। प्रेम होता है वास्तव में तलवार; वो खिलौना नहीं होता। प्रेमी…