कर्म का कारण और कर्म का परिणाम
कोई कर्म क्यों हो रहा है, ये जानना हो तो एक नुस्खा दे देता हूँ। ये देख लो कि उस कर्म का परिणाम क्या होगा। उस कर्म का जो परिणाम होनेवाला है, ये कर्म हो ही उसी के लिए रहा था।
किसी कर्म के पीछे क्या है, ये जानना हो तो ये देख लो कि उस कर्म के आगे क्या है।
आगे क्या है? परिणाम।
पीछे क्या है? कारण।
कारण क्या है किसी कर्म का, ये जानना हो तो उस कर्म का परिणाम देख लो।
कह रहे हैं कि खाँस रहे हैं, तो बड़ी शर्मिंदगी हो रही है, बड़ी शर्मिंदगी हो रही है, और एक बार को ख़याल आया कि आज सत्र में भी न आएँ। ये शर्मिंदगी अगर ऐसी ही रही और बढ़ती गई, तो अगले सत्र में ये आएँगे भी नहीं। तो खाँसने का परिणाम क्या हुआ? सत्र में नहीं आए।
तो खाँसी इसीलिए आ रही थी क्योंकि आपके शरीर में कोई बैठा है जो नहीं चाहता कि आप सत्र में आएँ। खाँसी का परिणाम यही होगा न कि आप सत्र में नहीं आएँगे? तो खाँसी आई भी इसीलिए थी, ताकि आप उठकर निकल जाएँ। कोई है आपके भीतर जिसको बिलकुल ठीक नहीं लग रहा कि आप यहाँ बैठे हैं। उसको पहचानिए।
तुम जो कुछ कर रहे हो, उसको देख लो कि उसका अंजाम क्या होने वाला है।
और जो अंजाम होने वाला है न, वो घटना हो ही इसीलिए रही है ।
तुम्हारी, तुम्हारे पति से नहीं बनती। तुम देखोगे कि तुम बहुत सारे और काम ऐसे करने लग गए हो जो पति को पसंद नहीं हैं। और ये काम तुम ये सोचकर नहीं कर रहे कि पति को बुरा लगे। वो काम बस होने लग गए…