करुणा समझ के साथ बढ़ती है

बोध और करुणा अलग-अलग नहीं चल सकते।
जो जितना समझदार होगा,
जिसकी विचारणा में जितनी गहराई होगी,
जीवन को जो जितना जानता होगा,
उसमें करुणा उतनी ज़्यादा होगी।

और अगर तुम पाओ कि किसी में करुणा नहीं है,
दूसरों के दुःख-दर्द से उसे कोई अंतर नहीं पड़ रहा है,
तो जान लेना — ये अभी मन को,
जीवन को समझता भी नहीं है।

जो खुद को जानेगा वो दूसरे के प्रति प्रेमपूर्ण हो ही जाएगा।
तो दूसरे के प्रति प्रेमपूर्ण होंने का तरीका भी यही है कि अपने मन को समझ लो।

पूरा वीडियो यहाँ देखें।

आचार्य प्रशांत के विषय में जानने, और संस्था से लाभान्वित होने हेतु आपका स्वागत है

--

--

आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org