कमाना है, भोगना है, मज़े करने हैं!

प्रश्नकर्ता: आप कहते हैं कि सामान्य ज़रूरतों के लिए बहुत ज़्यादा पैसों की ज़रूरत नहीं है, पर अगर हमारे पास समय है और सामर्थ्य भी, तो ज़्यादा क्यों न कमाएँ? इस दुनिया में बहुत से सुख हैं जिनको पूरा करने के लिए पैसा चाहिए। उदाहरण के लिए, विश्व भ्रमण करने की अपनी कामना पूरी क्यों न की जाए? जब हमें पता है कि मरने के बाद साथ कुछ नहीं जाना है, तो हम भविष्य के बारे में सोचकर आज घुट-घुटकर क्यों जिएँ? ये प्रश्न मैं अपने बेटे की तरफ से पूछ…

आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org