ओम् है शब्द का मौन में विलीन हो जाना

प्रश्न: मैं ये जानना चाह रहा था की जैसे “ओम्” जो है और जैसे आपने बताया की ‛मौन में विलुप्ती’ तो “ओम्” में तो एक साउंड(ध्वनि) है। तो ओम् ही साइलेंस(मौन) है। या साइलेंस(मौन) में ओम् है?

आचार्य प्रशांत: उदाहरण है। कुछ और नहीं है। उदाहरण है। ओम्, जैसे आप अन्य कई नि:शब्द गढ़ सकते हैं। ओम् तो सिर्फ आपको एक ज़ायका देने के लिए है। और भी बहुत कुछ है।

दिन का विलोम, रात की विलुप्ति, बच्चे का न कहीं से पैदा हो जाना। बिना कारण के प्रेम की अनुभूति। ये सब वही हैं जो ओम् है। जो ध्वनि है वो पदार्थ हैं। बिना पदार्थ के कोई ध्वनि होती नहीं। और ध्वनि विग्लित हो जा रही है मौन में, पदार्थ समाहित हो जा रहा है अपदार्थ में। पदार्थ समाहित हो जा रहा है शून्य में। ये दो अलग अलग आयामों का योग है। ओम् उस योग का उदाहरण भर है। और वो उदाहरण अन्यत्र भी हैं। ओम अकेला उदाहरण नहीं है। प्रेम और क्या है? प्रेम और ओम् अलग अलग नहीं है।

ओम् क्या है? दो तलों का मिल जाना। दो ऐसे तलों का मिल जाना जो मिल ही नहीं सकते थे। पदार्थ अपदार्थ से कैसे मिल गया? मिट्टी से पौधे का पैदा हो जाना भी ओम् है। बोलिये कैसे? मिट्टी से जीवन कैसे अंकुरित हो गया? ये दो अलग अलग तल थे, ये मिल कैसे गए? आप यहाँ बैठे हो। आप बात सुन रहे हो मेरी और समझ भी पा रहे हो। ये ओम् है। कैसे ओम् है? ये मिट्टी का शरीर। ये समझ कैसे रहा है? दो अलग अलग तल मिल कैसे गए? समझ पदार्थगत तो नहीं होती ना। शरीर क्या है? पदार्थ है। शरीर और समझ इनका योग कैसे हो गया? ये ओम् है। जहाँ कहीं भी कुछ ऐसा हो रहा हो जो कार्य-कारण के…

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आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org