ऐसे तो हम जीते हैं
1 min readMay 7, 2020
ऐसे तो हम जीते हैं-
चाहिए कुछ
माँग रहे हैं कुछ और
चाहिए शांति
दौड़ रहे हैं पैसे के पीछे
चाहिए प्रेम
दौड़ रहे हैं पद के पीछे
चाहिए समर्पण
दौड़ रहे हैं अहं के पीछे
और कहते हैं ,
“कहीं कुछ गड़बड़ ज़रूर है!
ससुरी शांति नहीं मिलती
मन उद्विग्न सा रहता है।”
पूरा वीडियो यहाँ देखें।
आचार्य प्रशांत के विषय में जानने, और संस्था से लाभान्वित होने हेतु आपका स्वागत है।