Sitemap

Member-only story

एक-सौ-चालीस करोड़ लोग, और गोल्ड एक!

प्रश्नकर्ता आचार्य जी, आप हमेशा निगेटिव बात करते हैं। अभी आपने अपने ‘बचपन का प्यार’ वाले वीडियो में कहा कि “इन्डिया का यूथ (जवान पीढ़ी) फ़ालतू टिक-टॉक और रील्स बनाने में बिज़ी (व्यस्त) है, इसलिए इंडिया के ओलम्पिक मेडल्स नहीं आते” पर देख लीजिए कल ही नीरज चोपड़ा ने गोल्ड हासिल कर लिया, इण्डिया का यूथ किसी से कम नहीं।

आचार्य प्रशांत: कितनी आबादी है हिंदुस्तान की? एक-सौ-चालीस करोड़। एक-सौ-चालीस करोड़ लोग और मेडल एक? बड़ी नाइंसाफी है न!

और इस एक-सौ-चालीस करोड़ में से भी दुनिया की सबसे बड़ी यूथ पॉपुलेशन भारत में है — पचास करोड़ से भी ज़्यादा। ओलंपिक्स जवान लोगों का खेल है न? तो दुनिया में सबसे ज़्यादा जवान लोग हिंदुस्तान में पाए जाते हैं। जब सबसे ज़्यादा लोग हिन्दुस्तान में पाए जाते हैं, तो सबसे ज़्यादा गोल्ड और टोटल मेडल भी हिन्दुस्तान के ही होने चाहिए थे न?

एक गोल्ड आया, कुछ सिल्वर आए, कुछ ब्रॉन्ज़ आए। बहुत ख़ुशी की बात है। पर एक ही क्यों आया है? सबसे ज़्यादा तो हमारे आने चाहिए थे न? उसकी बात नहीं करना चाहोगे? एक पर ख़ुशी मनाई, बढ़िया किया, मनानी चाहिए। पर उनकी भी तो बात करो जो मेडल्स आने चाहिए थे पर आए नहीं, वो क्यों नहीं आए? आमतौर पर बहाना ये दे दिया जाता है कि साहब भारत एक गरीब देश है, इसलिए यहाँ पर मेडल्स नहीं आते और स्पोर्टिंग एक्सेलेन्स (खेल उत्कृष्टता) नहीं है।

युगांडा, इक्वेडॉर, क्यूबा, नाइज़ीरिया, बहामाज़, जमैका इनका नाम सुना है? ये जो मेडल तालिका है ओलंपिक्स की, इसको शुरू से लेकर के भारत के स्थान तक देखना, भारत का स्थान…

--

--

आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant
आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

Written by आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org

No responses yet