एक अनूठी तैराक, और महासागर का अकेलापन
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वो चार अलग-अलग महासागरों और आठ अलग-अलग समुद्रों में तैर चुकी हैं।
स्वर्गीय माननीय भूतपूर्व राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी जी ने उन्हें वाटर एडवेंचर के लिए Tenzing Norgay National Adventure Award से सम्मानित किया है।
वो अंटार्कटिक जल में खुली तैराकी में रिकॉर्ड स्थापित करने वाली पहली एशियाई महिला और दुनिया की सबसे कम उम्र की महिला हैं।
प्रश्नकर्ता: नमस्कार! मेरा नाम भक्ति शर्मा है और कुछ महीनों पहले मेरा परिचय आचार्य जी से उनके यूट्यूब पर जो वीडियोज़ हैं, उनके माध्यम से हुआ। मन में कई सारे सवाल भी उठे जो पहले से थे, कुछ नए सवाल उठे और ये इच्छा जागी कि मैं वो सवाल आचार्य जी से स्वयं पूछूँ। आज मुझे उनसे बात करने का सौभाग्य हुआ, मुझे मौका मिला कि मैं आचार्य जी से स्वयं वीडियो कॉल के ज़रिये बात कर सकूँ और अपने सवाल पूछ सकूँ। मैं एक तैराक भी हूँ और २०१५ में काफी मुश्किल तैराकी की तैयारी के दौरान, जो कि आगे जाकर एक वर्ल्ड रिकॉर्ड तैराकी बना, उसकी तैयारी के दौरान मेरा परिचय ध्यान से हुआ और वहीं से मेरी आध्यात्मिक यात्रा, मेरी स्प्रिचुअल जर्नी की भी शुरुआत हुई। तो जो सवाल आज मैंने आचार्य जी से पूछे, वो मेरे उन्हीं अनुभवों से जुड़े हैं, मेरे जीवन के उन्हीं पहलुओं से जुड़े हैं और भी कई सारी चीज़ों से जुड़े हैं जो कि हर व्यक्ति के जो कि अध्यात्म के पथ पर चलता है, उनके मन में उठते हैं। मैं आशा करती हूँ कि मेरे जो सवाल थे, वो सिर्फ मुझ तक ही न रह जाएँ। जो भी इस पथ पर चल रहा है उन तक पहुँचे और जिस तरीके से मुझे आचार्य जी के जवाबों से मार्गदर्शन मिला है, वहीं मार्गदर्शन हर उस व्यक्ति तक पहुँचे जिनके मन में ये या कोई और सवाल उठते हों।
भक्ति शर्मा: नमस्कार आचार्य जी, बहुत ही अच्छा लग रहा है आपको देखकर और आपसे मिलकर।
आचार्य प्रशांत: मुझे भी। बताइये!
भक्ति शर्मा: ध्यान से मेरा परिचय कुछ पाँच या छः साल पहले हुआ और वो बहुत ही सांयोगिक था- मैं एक तैराक हूँ तो एक काफी मुश्किल तैराकी की तैयारी में मैं योग विद्या में तरीके ढूंढ रही थी कि जिससे मैं अपने शरीर की ठंड बर्दाश्त करने की क्षमता बढ़ा सकूँ, तो उसी दौरान ‘पतंजलि योग सूत्र’ और ‘ऑटो बायोग्राफी ऑफ योगी’ जैसी किताबों को मैंने ढूंढना चालू किया जिनमें सिद्धियों की बात की गयी है काफी ज़्यादा। मेरे पिताजी ने जब ये देखा तो मेरा परिचय एक व्यक्ति से कराया जिन्हें मैं अब गुरु बोलती हूँ तो उन्होंने मुझे कोई विधि तो नहीं दी योग की लेकिन क्योंकि वो खुद ओशो के संयासी हैं तो उन्होंने मुझे ध्यान की ओर बढ़ाया और बोला कि “ये सीडी है जिसमें उनका ४५ मिनट का रिकॉर्डेड मेडिटेशन था तो ये ध्यान करो और हर ध्यान के बाद मुझे फोन करके…