एकाग्रता और जीवन में संबंध
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जैसा जिसका प्रशिक्षण, वैसी उसकी एकाग्रता।
चींटी गुड़ पर एकाग्र हो जाएगी, उड़ती हुई चील नीचे मरे हुए चूहे पर।
अपनी रोज़मर्रा की गतिविधियों से अपने मन का निर्माण तुम ही करते हो। तो देखो कि तुम्हारी रोज़ की गतिविधियाँ कैसी हैं। यदि अपनी एकाग्रता का विषय बदलना है, तो जीवन को ही बदलना पड़ेगा।
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