उस पैसे में दाँत होते हैं जो पेट फाड़ देते हैं
प्रश्नकर्ता: मेरे काम में दान-दक्षिणा दोनों प्राप्त होते हैं, और मेरी जानकारी में ‘दान’ अलग विषय है और ‘दक्षिणा’ अलग विषय है। दक्षिणा मतलब हुआ कि आपने जो सेवा कर्म किया, और दान जो आपको मिलता है। दान की महिमा तो बहुत सुनी है परंतु दान के विषय में कुछ साधु-संतों ने मुझे एक बात बताई है जिससे थोड़ा भय उठा है मन में। आपसे स्पष्टता चाहता हूँ। उन्होंने कहा कि, “बेटा, दान के पैसे में दो दाँत होते हैं, सोच समझकर लिया…