उसकी दरियादिली, हमारी तंगदिली
कह रविदास खलास चमारा,
जो हम सहरी सु मीतु हमारा।
~ संत रविदास
शब्दार्थ — संत रविदास जी कह रहे हैं कि मैं चर्मकार हूँ और जो भी स्वयं को ऐसा ही समझेगा, केवल वही हमारा मित्र हो सकता है।
जब संत रविदास जी कहते हैं कि “मैं चर्मकार हूँ और जो कोई मेरे जैसा हो वही निकट आए, वहीं हमारा मित्र हो पाएगा” तो वो कह रहें हैं कि “जिसमें ज्ञान को लेकर के…