उलझे सम्बन्धों को कैसे सुलझाएँ?

आप का होना और सम्बन्ध का होना, एक ही बात है। आपके मन की जो गुणवत्ता है, ठीक वही गुणवत्ता आपके सम्बन्धों की होगी। मन और सम्बन्ध में कोई अंतर है ही नहीं। सम्बन्धों का ही नाम ‘मन’ है। मन की गुणवत्ता ही सम्बन्धों की गुणवत्ता है। अगर आप ये पाते हों कि दुनिया भर से सम्बन्ध नकली हैं, सतही हैं, द्वेष बहुत है उनमें, तो बस समझ लीजिएगा कि मन ऐसा ही है — सतही। गहराई नहीं है उसमें।

‘आपके’ सम्बन्ध होते हैं। सम्बन्ध दो व्यक्तियों के मध्य उतने नहीं होते जितने आप के होते हैं। ‘सम्बन्ध’ का ये अर्थ नहीं है कि मेरे और उसके बीच में क्या सम्बन्ध है। आपको क्या पता कि उसके मन में क्या चल रहा है। ‘सम्बन्ध’ का अर्थ है — “मेरे मन में क्या चल रहा है।”

दूसरी बात, सम्बन्ध तो हमारे पत्थरों से और पर्वतों से भी होते हैं। उनके मन में तो कुछ चलता ही नहीं है आपके लिए। और सम्बन्ध तो वहाँ भी होते हैं। और यदि जीवन रुखा-सूखा है, तो पर्वत और पहाड़ से भी सम्बन्ध रुखा-सूखा ही रहेगा। और इसमें उस बेचारे पर्वत, या पहाड़, या रेत ने, या नदी ने कुछ नहीं कर दिया है।

ये भी कहना कि वो ‘व्यक्ति’ ज़िम्मेदार है, बड़ी अधूरी-सी बात होगी। क्योंकि जैसे ही मैं आपसे कहूँ कि इसके लिए ‘व्यक्ति’ ज़िम्मेदार है, आप के मन में तुरंत ये उठेगा कि, वो व्यक्ति फिर ठीक भी कर सकता है। ज़िम्मेदारी में तो ये भाव भी आता है कि — “मुझमें ताकत भी है।” जब भी आप कहते हैं, “आई ऍम रेस्पोंसीबल (मैं ज़िम्मेदार हूँ),” तो इसका अर्थ ये भी है कि — “यदि मैं खराब करने के लिए उत्तरदायी हो सकता था, तो मैं…?”

“ठीक करने के लिए भी उत्तरदायी हो सकता हूँ।” आप जो हैं, ये होते हुए आपका ये सम्बन्ध ऐसा होना ही था। इसमें ये भी नहीं है कि ज़िम्मेदारी है कि आपकी वजह से हुआ। ना-ना ना, आप ही हैं, आपकी वजह नहीं है। और आप जो हैं, वो रहते हुए आपका वो सम्बन्ध वैसा ही रहेगा। आप लाख कोशिश कर लो, आप बदल नहीं सकते। और अगर कोई आपको ये कहता है कि, “‘यू’ कैन चेनज यॉर रिलेशनशिपस (‘तुम’ अपने सम्बन्ध बदल सकते हो),” तो वो पागल है। खुद कुछ नहीं समझता, और आपको भी भ्रमित कर रहा है।

यू बींग व्हाट यू आर, यू कैन नैवर चेंज यॉर रिलेशनशिप्स, बिकॉज़ यू आर यॉर रिलेशनशिप्स (तुम जो हो, वही रहते हुए तुम अपने सम्बन्ध नहीं बदल सकते, क्योंकि तुम्हारे सम्बन्ध ही तुम हो)।

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आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org

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