उदासी और दु:ख से मुक्ति कैसे हो?
ह्रदय में उदासी उठती है, उठनी चाहिए। जीव पैदा हुए हैं न हम। और अकेले नहीं पैदा हुए हैं। इंसान को तो पैदा होने के लिए भी दो चाहिए। इंसान जब भी होगा, अपने आस-पास और इंसानों को पाएगा। एक कुटुंब हैं हम, एक कुनबा हैं हम। और जितने हैं हमारे आसपास, सब हमारे ही जैसे हैं।
दो बातें कहीं हमने। पहला, हम अकेले नहीं; दूसरा, जितने भी हमारे आस-पास हैं, सब हमारे ही जैसे हैं। देखिए मृत्यु को, और देखिए कि आप ही भर नहीं डरी…