उड़ाना है तो उड़ाइए, पर पहले ज़रा कमाइए (उधार का फ़ेमिनिज़्म?)

प्रश्नकर्ता: मैं घूमती-फिरती हूँ, टूरिज़्म (पयर्टन) करती हूँ, अच्छे कपड़ों और ज्वेलरी (गहने) का शौक है मुझे। शॉपिंग (खरीदारी) करती हूँ। मुझे इस बात पर शर्मसार क्यों होना चाहिए? मेरे हसबैंड (पति) का बड़ा बिज़नेस (व्यवसाय) है। पेंटिंग, ट्रैवलिंग, ब्लॉगिंग मेरी हॉबी है और फ़ेमिनिज़्म मेरी आईडियोलॉजी (विचारधारा)। मैं आज की बोल्ड, कॉन्फिडेंट और आज़ाद लेडी (नारी) हूँ तो फिर मुझसे लोगों की क्यों जलती है?

आचार्य प्रशांत: बहुत अच्छी बात है आज़ाद ख्याल होना। आप कह रही हैं आप बोल्ड हैं, कॉन्फिडेंट हैं बहुत अच्छी बात है। आप शॉपिंग करती हैं, टूरिज़्म करती हैं। आपको गहनों का, अच्छे कपड़ों का शौक है। आप पूछ रही हैं कि “इसमें कोई गुनाह हो गया क्या कि मुझे शर्मसार होना चाहिए?” नहीं, बिलकुल कोई गुनाह नहीं हो गया और आपकी दिलचस्पी है पेंटिंग (चित्रकारी) में, ट्रेवलिंग (घूमने) में, ब्लॉगिंग में बढ़िया बात है और विचारधारा से आप फ़ेमिनिस्ट हैं। सब ठीक है, बस आप जो कुछ भी कर रही हैं अपने सामर्थ्य पर करिएगा।

आपने कहा है न, “मैं आज की बोल्ड, कॉन्फिडेंट, आज़ाद लेडी हूँ।” आप पूछ रही हैं कि “तो फिर लोगों को समस्या क्या है? लोगों को क्या ईर्ष्या होती है?”

देखिए, लोगों को क्या ईर्ष्या हो रही है या लोग क्या कह रहे हैं, हो सकता है वो बात बहुत महत्व की ना हो लेकिन ये बात निश्चित रूप से बहुत महत्व की है कि आप जीवन में स्वतंत्र रहें ज़रा। स्वतंत्रता का मतलब यही नहीं होता कि आप फ्लाइट लेकर के एक जगह से दूसरी जगह चली गई, मन करा उड़ गए…

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आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org