उचित कर्म कौन सा है?

कहता हूँ कहि जात हूँ, देता हूँ हेला।
गुरु की करनी गुरु जाने, चेले की चेला।।
~ संत कबीर

आचार्य प्रशांत: दो तरह की करनी हैं। मूल पर जाइए। तीन शब्द हैं इसमें जो महत्वपूर्ण हैं: करनी, गुरु और चेला। करनी, गुरु और चेला, मतलब करनी दो अलग-अलग जगहों से आ सकती है।

कहता हूँ कहि जात हूँ, देता हूँ हेला।

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रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org

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आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

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