ईश्वर कैसे मिलेंगे?

ईश्वर कोई व्यक्ति तो है नहीं जो तुम्हारे सामने आकर खड़े हो जाएंगे। ईश्वर तुम्हारे ही भीतर की वो ताकत है जो तुम्हें सत्प्रेरणा देती है। ईश्वर ऐसे हैं जैसे अंधेरे जगत में दूर कहीं कोई रौशनी हो। ईश्वर लक्ष्य भी है और पथ प्रदर्शक भी है।

ईश्वर मंज़िल भी हैं और मंज़िल तक ले जाने वाला हमसफ़र भी है। किसी बाहरी ईश्वर पर विश्वास कर लेना फिजूल है। तुम्हारे ही मन के केंद्र का नाम ईश्वर है, तुम्हारे ही इरादों की सच्चाई का नाम ईश्वर है। जिस तक तुम्हें पहुंचना है वही तुम्हें उस तक पहुँचने की शक्ति भी देगा और बुद्धि भी देगा।

तुम्हारे भीतर दोनों हैं, ईश्वर भी और माया भी। तुम्हें पूरी छूट है तुम किसी ओर भी जा सकते हो। ईश्वर तुम्हें जीवन में ईश्वर का चुनाव करके ही मिलेंगे। ईश्वर तुम्हें मिलेंगे या नहीं मिलेंगे यह ईश्वर पर निर्भर नहीं करता है, यह गुरु पर भी निर्भर नहीं करता है, यह तुम्हारे चुनाव पर निर्भर करता है। लालच में, डर में, बेहोशी में निर्णय करोगे तो तुमने माया का चुनाव कर लिया। प्रेम में, सच्चाई में, करुणा में, निस्वार्थ, निष्काम निर्णय करोगे तो तुमने ईश्वर को चुन लिया। ऐसे मिलते हैं ईश्वर तो अपने प्रश्न को थोड़ा बदलो, यह मत पूछो कि तुम्हें ईश्वर कैसे मिलेंगे, तुम यह पूछो कि तुम ईश्वर को कैसे मिलोगे। ईश्वर तो तुम्हें मिले हुए हैं, तुम्हारे भीतर बैठे हैं, लेकिन तुम्हीं ईश्वर से दूर भागते हो।

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आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org