ईमानदारी, सत्य, पूर्णता

हम अपनी तरफ से तो अच्छा करते हैं और हो जाता है बुरा। हम सच बोलने की कोशिश करते हैं, हम अच्छे काम करने की कोशिश करते हैं, और सारे काम गलत हो जाते हैं।

कर सब अच्छा रहे हैं और हो रहा है बुरा! तो फिर हमें क्या करना चाहिए? पहले होश में आओ, फिर कुछ करो।

होश में कैसे आएँ? बेहोश न रह के। ये देख लो कि क्या है जो तुम्हें बेहोश करता है? उसके पास कम जाओ, अपने ऐसे दोस्तों-यारों से बचो जो बेहोश करते हैं तुम्हें, उन जगहों पर जाने से बचो जो बेहोश करती हैं तुम्हें, वो हरकतें, वो वेबसाइट्स से बचो जो बेहोश करते हैं तुम्हें, तुम जानते हो तुम्हे क्या बेहोश करता है, वो मत करो। और जो कुछ तुम्हें होश में लाता है उसके पास ज़्यादा जाओ।

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आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org