इस आशा में शरीर पर निवेश मत करते रह जाना कि कुछ दे जाएगा तुमको; कुछ नहीं दे पाएगा।

तुम उपकृत अनुभव करो अगर शरीर बस तुम से कुछ लेता न हो।

और ले वो बहुत कुछ सकता है — तुम्हारा सारा ध्यान ले सकता है!

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आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org