इस अकेलेपन की वजह और अंजाम जानती हैं ?

बोरियत और नाउम्मीदी। यह अच्छी बात है कि अभी तक सिर्फ़ उसमें बोरियत और नाउम्मीदी पक रही है। बहुत दिनों तक नाउम्मीद नहीं रहोगे। मालूम है क्या करोगे? उस खाली समय को भरने के लिए कहीं से कचरा ले आओगे और वह कचरा ऐसा होगा जो ‘उम्मीद’ देता होगा। उम्मीद का वादा करता होगा और उस कचरे से अपने खाली समय को भर लोगे — जय राम जी की!

बहुत सारे कचरे होते हैं जो मन को और ज़िंदगी से भरने के लिए आतुर होते हैं। अगर…

आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org