इसमें तेरा घाटा, उनका कुछ नहीं जाता
--
प्रश्नकर्ता: राम ने सीता को क्यों छोड़ा? गर्भवती पत्नी को वन में छोड़ने पर भी राम मर्यादा पुरूषोत्तम क्यों कहलाए? जुए में द्रोपती हारकर भी युधिष्टर धर्मराज क्यों कहलाए? अगर ये धर्म है, तो फिर अधर्म क्या है?
आचार्य प्रशांत: बड़े दुःखी लग रहे हैं प्रश्नकर्ता, कह रहे हैं, “गर्भवती पत्नी को वन में छोड़ने पर भी राम ‘मर्यादापुरुषोत्तम’ कहलाए, जुए में द्रोपदी को हारकर भी युद्धिष्ठिर ‘धर्मराज’ कहलाए। अरे, अगर ये धर्म है, तो फिर अधर्म क्या है?”
ताली बजा दूँ डायलॉग पर, या जवाब दूँ? चलो जवाब दिए देता हूँ।
क्रिकेट विश्वकप के फाइनल में चार रन पर आउट हो जाने पर भी सचिन तेंदुलकर ‘भारत रत्न’ कहलाए, क्यों? बीस फ्लॉप पिक्चरें देने पर भी अमिताभ बच्चन ‘सुपरस्टार’ कहलाए, क्यों? दर्जनों गाने हैं, लता मंगेश्कर के भी, किशोर कुमार के भी, मोहम्मद रफ़ी के भी, जो बिल्कुल नहीं चले, तो भी ये सब ‘लेजेंड (दिग्गज)’ कहलाए, क्यों?
अब मुझे बताओ, मैं इनकी बात करूँ, या तुम्हारी बात करूँ? तुम्हारी नज़र कहाँ है? तुम देखना क्या चाहते हो? क्यों नहीं आपत्ति करी कि २००३ का विश्वकप था, भारत-ऑस्ट्रेलिया का फाइनल मैच था, सचिन तेंदुलकर चार रन पर आउट हो गए। उसके बाद भी तुम क्यों उनको कह रहे हो, ‘भारत का डॉन ब्रैडमैन’? क्यों तुम उनको भारत रत्न और अन्य उपाधियाँ दिए दे रहे हो? बोलो, तब क्यों नहीं कहा?
भारत रत्न कोई छोटी बात होती है? भातर रत्न! ऐसे आदमी को तुमने भारत रत्न दे दिया जो विश्वकप के फाइनल में चार रन पर आउट हो गया? ये कोई बात है? तब क्यों नहीं आपत्ति करते? बोलो।
नहीं, तब तो तुम कहोगे, “हम यही सिर्फ़ थोड़े ही देखेंगे कि एक मैच में क्या हुआ था, हें-हें-हें, हम तो उनका पूरा कैरियर देखेंगे न।” वहाँ तुमको इतनी अक्ल है कि पूरा कैरियर देखेंगे, एक ही मैच नहीं देखेंगे, भले ही वो मैच विश्वकप का फाइनल मैच क्यों न हो। लेकिन जब बात आती है राम की और युद्धिष्ठिर की, तो वहाँ तुम तत्काल बड़े न्यायाधीश बनकर खड़े हो जाते हो, कहते हो, “देखो, उन्होंने ऐसा कर दिया, वैसा कर दिया। अब हम क्यों सुनें राम की, क्यों सुनें युद्धिष्ठिर की?”
असली बात ये है कि तुम्हें युद्धिष्ठिर और यक्ष के प्रश्नों में, संवाद में, प्रश्नोत्तर में जो बुद्धिमत्ता है, उससे बचना है। वो बुद्धिमत्ता तुम्हारी ज़िंदगी के वर्तमान ढर्रों के लिए बहुत ख़तरनाक है, तो तुम्हें कोई-न-कोई बहाना, कोई उपाय निकालना है कि मैं कैसे युद्धिष्ठिर से कन्नी काटूँ! तो तुमने उपाय निकाल लिया, तुमने कहा, “अच्छा, युद्धिष्ठिर! बचना यार। युद्धिष्ठिर से अगर बचे नहीं तो ये आदमी ख़तरनाक है। ऐसे-ऐसे इसने जवाब दिए हैं यक्ष को, ऐसी-ऐसी बातें बता दी…