इन्हें पसंद नहीं हैं मेरे राम

राम आज ज़्यादातर लोगों को क्यों पसंद आएँगे? देखो हर युग, उस युग के मूल्यों के हिसाब से अपने आदर्शों को, नायकों को चुनता है। चुनता भी है, गढ़ता भी है। तो जिस युग के जो मूल्य होते हैं, जो वैल्यूज़ होती हैं उसी के हिसाब से उस युग के प्रचलित आदर्श हो जाते हैं।

आज के युग का सबसे बड़ा आदर्श है- भोग, कंज़म्पशन। खाओ! खाओ! खाओ! भोगो! भोगो! भोगो! तो इस युग को फिर ऐसे ही चरित्र, लोग, आदर्श, नायक पसंद आएँगे, जिन्होंने अपनी ज़िंदगी में खूब भोगा हो। अब आप राम को देखिए- पिता के कहने पर हाथ में आया राज्य और सिंहासन ठुकरा कर के जंगल की ओर निकल जाते हैं। आज का कौन-सा इंसान, कौन-सा लड़का? कौन-सा बेटा, ये करना चाहता है कि हाथ में आयी धन, संपदा, सत्ता को ठुकरा कर के जंगल की ओर निकल जाये? तो आज के किसी लड़के को, आदमी को, किसी भी व्यक्ति को राम क्यों पसंद आएँगे? क्योंकि राम जो आदर्श बता रहे हैं, राम जो अपनी ज़िंदगी से उदाहरण प्रस्तुत कर रहे हैं, वो उदाहरण हमें पसंद ही नहीं आ रहा, हमें उसका पालन ही नहीं करना। आज का हाल तो ये है कि तुम्हारे हाथ में जो चीज़ नहीं भी आ रही हो, जिसके तुम लायक नहीं हो, जिसके तुम पात्र नहीं हो, जो तुमने अर्जित नहीं भी करा, तुम उसको भी किसी तरीके से छल-कपट से, ‘हुक ऑर क्रुक’, येन-केन प्रकारेण हासिल करो और राम हासिल की हुई चीज़ को छोड़ देते हैं। कोई फिर आज क्यों कहे कि राम मेरे रोल मॉडल हैं। ये युग हीं ऐसा है कि इस युग में ऐसा व्यक्ति कैसे बहुत पसंद आएगा आपको, जिसका जीवन त्याग और मर्यादा पर केंद्रित रहा हो।

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आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org