इतने बड़े अधिकारी हो तुम?
प्रश्नकर्ता: प्रणाम आचार्य जी, पिछले एक महीने से मैं अष्टावक्र गीता पढ़ रहा हूँ। तो मैंने अपने जीवन में भी देखा, शांति के रास्ते में शरीर और मन बीच-बीच में बाधा बनते हैं। तो इसी विषय पर जब मैंने अष्टावक्र गीता देखा; उसमें दो श्लोक मिले जो इससे रिलेवेंट थे, लेकिन वो दो श्लोक सच तो होंगे तभी लिखे हुये हैं। लेकिन पूरी तरह से मेरे लिए सच नहीं हैं। वो दो श्लोक आपको सुनाना चाहूँगा।