इतने उदास क्यों हो?
जो अपनी खुशियों के लिए दूसरों पर निर्भर हो गया, वो सदा दुखी रहेगा।
लेकिन हम यही कहते हैं न; कोई पूछता है कि इतना मुँह लटकाए क्यों घूमते हो? हम क्या बोल देते हैं? कोई है कहाँ, जो हमारे जीवन में मुस्कान बिखेर जाए। मुँह तो लटका ही रहेगा न!
“क्या हुआ डार्लिंग आज इतनी उदास क्यों हो?”
“तुम दूर थे न इसलिए।”
जो अपनी खुशी के लिए दूसरों पर आश्रित हो गया, उसने अपने जीवन में दुःख ही दुःख लिख लिया।
दुःख और कुछ है ही नहीं। जो खुशी दूसरों से आती है वो दुःख है।
आनंद वो खुशी है जो दूसरों पर निर्भर नहीं करती। वो तुम्हारी अपनी आतंरिक बात है।
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