इतनी शोहरत इतनी कमाई, फिर भी उदासी और तन्हाई

सच्ची खुशी पाने का और कोई तरीका ही नहीं है। बस इसी भ्रम को छोड़ दो कि दुनिया की कोई गतिविधि, कोई विचार, कोई ओहदा, कोई व्यक्ति, कोई उपलब्धि, कोई सफलता, तुमको सच्ची खुशी दिला सकती है। हाँ, तुमको मन बहलाने के लिए छोटी-मोटी सावधिक खुशियाँ चाहिए हों जो आती हैं और गुज़र जाती हैं, और अपने पीछे बहुत सारा दर्द छोड़ जाती हैं, तो तुम दुनिया के फेर में फँसे रहो।

आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org