इतनी बदतमीज़ क्यों ये नई पीढ़ी?
प्रश्नकर्ता: प्रणाम आचार्य जी। मेरे दो बच्चे हैं आचार्य जी और मेरा प्रश्न उन्हीं से सम्बन्धित है कि आजकल की जो पीढ़ी है, ये अभिभावकों की बात क्यों नहीं सुनती, और इतनी बहस क्यों करती है?
आचार्य प्रशांत: तो सवाल है बच्चों के बारे में कि ये बच्चे ऐसे क्यों हैं। ये पूरी पीढ़ी ऐसी क्यों है? प्रश्न पूछने वाले अक्सर ऐसा ही करते हैं, वो कभी अपने बारे में कुछ नहीं पूछते, वो दूसरों के बारे में पूछते हैं कि दूसरे इतने गलत क्यों हैं।
अब बहस करना अपनेआप में कोई अनिवार्यत: बुरी बात तो होती नहीं। आपका बच्चा है या किशोर या नौजवान, बेटा या बेटी है, वो आपसे कुछ बातें कह रहा है या सवाल उठा रहा है, ये अपनेआप में गलत चीज़ कैसे हो गयी? मैं ये क्यों न पूछूँ कि आप बताइए कि आपके पास उसके सवालों के जवाब क्यों नहीं हैं? आप कह रहे हैं कि आपके बच्चे ज़बान लड़ाते हैं, तो ज़बान तो आपके पास भी है न, और आपके पास ज़्यादा सुलझी हुई, पारिपक्व और अनुभवी ज़बान होनी चाहिए। उसमें ऐसे शब्द क्यों नहीं बह रहे जो इस पीढ़ी को संतुष्ट कर दें?
ले-देकर के जो बहस कर रहा है, भले ही वो अपने अहंकार को क़ायम रखना चाहता हो, अपनी बात मनवाना चाहता हो, लेकिन चाहता तो हर कोई यही है कि वो खड़ा सही बात के समर्थन में हो। हैं तो सब इंसान के ही बच्चे न? और इंसान कैसा भी हो उसे सच्चाई की तलाश रहती ही रहती है।
और बचपन में ही या किशोरावस्था में ही कोई इतना नहीं बिगड़ जाता है कि वो पूरे तरीक़े से झूठ के ही पक्ष में खड़ा हो जाए। सच्चाई चाहिए दुनिया के सब लोगों को और सच्चाई चाहिए आज की…