इतनी कामवासना प्रकृति नहीं, समाज सिखाता है
तुम्हें जो चीज़ खाए- ले रही है वो प्राकृतिक काम नहीं है तुमने बड़ा जोर दिया है शब्द कामुकता पर जैसे कि काम दोषी हो, इसका जिम्मेदार काम नहीं है, इसका जिम्मेदार काम का सामजिक संस्करण है।
एक तो होता है प्राकृतिक काम जो कि प्रकृति में, पौधों में, पशु- पक्षियों में, यहाँ तक कि नन्हें बालक- बालिकाओं में भी पाया जाता है, उसमें नदी सा बहाव होता है। वो वैसी ही बात होती है जैसे वृक्ष पर पत्ते-फूल आ रहे…