इतना डिप्रेशन देखकर ताज्जुब क्यों?

ये जो पीढ़ी अभी खड़ी हुई है,
इन्हें सब कुछ इतनी आसानी से मिला है
कि इन्हें काम करने की ज़रूरत क्या है?

और ये वो पीढ़ी है जिसने
कष्ट बहुत कम देखे हैं।

जो कष्ट कम देखेगा,
उसके भीतर लोहा नहीं बनेगा फिर।

सब कुछ बहुत आसान कर दिया गया है।

नतीजा,
एक लिचलिची कमज़ोर पीढ़ी,
जो मुँह तो बहुत चलाती है
पर कर कुछ नहीं पाती है।

डिप्रेशन के मामले बढ़ते ही जा रहे हैं।

तो एक कमज़ोर सी नसल हमारे सामने खड़ी है,
और उसमें उनकी कोई गलती भी नहीं।

क्योंकि घर में एक या दो बच्चे हैं,
तो उनकी सारी माँगे पूरी की जा रही हैं।

ज़मीन से कोई मतलब नहीं,
सोशल मीडिया पर जी रहे हैं।

सज़ा जैसी, जीवन में
कोई चीज़ ही नहीं
और जिसे सज़ा नहीं मिलेगी,
उसे जीवन सज़ा देगा।

उसे अगर सज़ा
घर में नहीं दोगे, स्कूल में नहीं दोगे,
तो उसे बहुत कड़ी सज़ा मिलेगी
जीवन के द्वारा।

पूरा वीडियो यहाँ देखें।

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आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org

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