इज़्ज़त से जीना चाहते हो?
14 min readDec 10, 2021
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प्रश्नकर्ता: आचार्य जी, सामान्यत: तो हम ऐसे होते हैं कि अपने लिए कर्म करते हैं, अपने हित का सोचते हैं। और अपने लिए ना करने का चुनाव, यह करने वाले भी क्या हम ही होते हैं?
आचार्य प्रशांत: वो तो एक सुंदरता होती है जो तुमको असहाय कर देती है, एक नूर होता है जिसके आगे तुम हथियार डाल देते हो। पर सतर्क रहना क्योंकि वो प्राकृतिक भी हो सकता है। सच्चाई के आगे समर्पण कर देना एक बात है और किसी इंसान के रूप लावण्य के आगे घुटने टेक देना बिलकुल दूसरी बात है।
प्र: जैसे अपने विरुद्ध जाने के कई सामान्य उदाहरण भी होते हैं, कि कभी शरीर में आलस आया फिर भी हम उसके विरुद्ध चले गए…