आस्तिक और नास्तिक

नास्तिक कोई होता ही नहीं है। लोग अलग-अलग तरह से आस्तिक हैं। नास्तिक कोई नहीं होता। जब तुम कहते हो, “अस्ति,” तो तुम किसकी अस्ति बता रहे हो, आस्तिकता का अर्थ है — तुमनें हाँ भरी, “अस्ति” — है। तो तुम किसको कह रहे हो कि “है”?

ज़रूर अपने मन की ही किसी छवि को कह रहे हो कि है। परमात्मा को तो यह कह पाना कि, “है,” बड़ी असम्भव बात है। ज़मीन है, कुर्सी है, कैमरा है, खम्बा है, ये सब “हैं”। परमात्मा को अस्ति कैसे बोल दोगे? अस्ति तो उस चीज़ को…

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रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org

आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org