आलस का उचित उपाय

ऊर्जा को सही दिशा देने के कुछ नियम होते हैं:

१. पहला नियम: ऊर्जा बोध के पीछे बहती है।

जब तुम कुछ बिल्कुल ठीक-ठीक समझ जाते हो तो तुम्हारी ऊर्जा बिल्कुल एक धारा में बहने लग जाती है। वही ऊर्जा पूरे तरीके से नष्ट भी हो सकती है, वही ऊर्जा जो कर्म में बदल सकती थी, वही ऊर्जा गॉसिप में बदल जाती है, आलस में बदल जाती है, विध्वंसक चीज़ों में चली जाती है, इधर-उधर की बातों में बदल जाती है यदि वहाँ बोध नहीं है।

जिन भी लोगों को जीवन में उत्साह चाहिए, ऊर्जा चाहिए, उन्हें उत्साह की फ़िक्र छोड़ देनी चाहिए और समझने की फ़िक्र करनी चाहिए। उनको ये देखना चाहिए ध्यान से कि, ‘क्या मैं समझ रहा हूँ कि मेरे साथ क्या हो रहा है? क्या मैं ठीक-ठीक समझ पाया हूँ कि मैं क्या कर रहा हूँ? मेरे मन में क्या चल रहा है, क्या मुझे पता है ठीक-ठीक?’

आप आलस की फ़िक्र छोड़ ही दीजिये, आप बस ये देखिये कि, ‘मैं जो कर रहा हूँ, मुझे उसकी समझ कितनी है?’

अगर समझ होगी उससे ऊर्जा अपने आप निकलेगी, ये पहला नियम हुआ।

२. दूसरा नियम: ऊर्जा प्रभावों से नष्ट होती जाती है।

अब तुम खुद ही अपनी ज़िन्दगी देख लो कि तुम अपनी ज़िन्दगी में क्या करते हो, अगर प्रभावों से भरे हो तो तुम्हारी ज़िन्दगी आलस से ही भरी रहेगी। ये देखो कि तुम ज़िन्दगी में जो कुछ भी करते हो, क्या उसके पीछे तुम्हारी समझ है? और अगर तुम्हारी अपनी समझ से निकलती हो तो आलस का सवाल ही नहीं होता।

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आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org