आम आदमी जीवन भर

खटता ही तो रहता है,

लगा ही तो रहता है,

तरह तरह के दाम चुकाता है,

कहाँ कहाँ नहीं सर झुकाता है।

वो अपनी राह बदलने को

तैयार हो जाता है,

पर अपने आप को कभी

बदलने को तैयार नहीं होता।

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आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org