आप बहुत गलत तरीके से जी रहे थे, अब आपको बता रही जिंदगी
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ज़िंदगी की छोटी-से-छोटी स्थिति भी आपके सामने आती है तो अगर आपकी सुधरने की, सीखने की नीयत है तो उस स्थिति के बाद आप वैसे ही नहीं रह जाएंगे जैसे कि आप उस स्थिति के पहले थे। यह मैंने बात करी जीवन की किसी भी साधारण स्थिति की। अभी जो वैश्विक आपदा हमारे सामने है, वह तो निश्चित ही असाधारण है। जो लोग इस आपदा के बाद भी वैसे ही रह जाए जैसा वो इसके पहले थे, उन्होंने तो फिर ठान रखी है कि जीवन से कुछ सीखना ही नहीं है, अहंकार उनका इतना सघन हो चुका है कि वह बदलने को, पिघलने को राजी ही नहीं हैं।
तो इस महामारी के प्रति दो तरह का रवैया रखने वाले लोग हैं, पहले वो, जो लगातार इन दिनों इसी कामना में, इसी प्रार्थना में, इसी प्रयत्न और जुगाड़ में लगे होंगे कि किसी तरीके से पहले वाले हालात वापस आ जाएं। इतनी असाधारण मार पड़ने के बाद भी, नब्बे-पच्चानवें प्रतिशत लोग वहीं हैं, जो सोच रहे हैं कि ‘यह आपदा तो यूं ही संयोगवश आ गई है ज़िंदगी में तमाम तरह की घटनाएं-दुर्घटनाएं होती रहती हैं, वैसे ही एक यह भी हो गई है। अरे! जल्दी से यह बला टले, हम अपने काम ढर्रों पर वापस आएं।’ दस में से नौ लोग ऐसे ही हैं।
कोई एकाध ऐसा होता है जिस पर यह आपदा, कष्ट के यह दिन, सामान्य जीवन में व्यवधान की अवधि एक सार्थक और सकारात्मक असर करके जाती है। दस में से एक होता है जिसको बात समझ में आती है कि यह जो महामारी आई है, यह कुछ बता रही है, कुछ हमें समझना पड़ेगा। ज़िंदगी आपको बताना चाहती है कि आप बहुत-बहुत गलत जी रहे थे। दुनियाभर में जीव जंतुओं, कीट-पतंगों, कीटाणुओं की लाखों प्रजातियां हैं पर अस्तित्व ने मनुष्य को चुना है इस विशेष दंड के लिए। किसी को वह सजा नहीं मिल रही है जो मनुष्य को मिल रही है। तो आपको विचार करना होगा न कि मनुष्य मात्र को ही यह स्थिति क्यों देखनी पड़ रही है। कुल 2 दशक बीते हैं इस शताब्दी के, इसी शताब्दी में यह चौथी महामारी है जो इंसानों के ऊपर गिरी है। जो पहले तीन थीं उनकी तीव्रता, विस्तार ज़रा कम था।
इससे पहले भी हम पर जो वायरल आक्रमण हुए, वो कोरोना वायरस ही थे पर वह दूसरे थे और क्या यह मात्र संयोग है कि वह सब भी उन्हीं कारणों से उठे थे जिन कारणों से कोविड-19 उठा है?
यह अवसर मत गवाईए। दोबारा लौटकर उसी पुरानी ज़िंदगी में वापस मत जाइए, ये निवेदन है। हम सब गलत जी रहे हैं, हमारा आज का जीवन दर्शन गलत है जिसके कारण हमारी सब मान्यताएं गलत, हमारे रिश्ते-नाते गलत, हमारे विचार गलत, हमारी आशाएं उम्मीदें गलत, हमारी योजनाएं गलत। उन सब पर पुनर्विचार करिए। उन सभी चीजों को बदल डालिए, अभी मौका मिला है कर डालिए। कौन जाने आगे मौका मिले-न-मिले?
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