आपको रहस्यमयी ताक़तों से डर नहीं लगता?
प्रश्नकर्ता: पिछले कुछ महीनों से आप झाड़-फूँक, जादू-टोना और तंत्र इत्यादि के खिलाफ़ ख़ूब बोल रहे हैं। आपको तांत्रिकों से डर नहीं लगता?
(श्रोतागण हँसते हैं)
आचार्य प्रशांत: (मुस्कुराते हुए) चलो अच्छा है, मुझे ऐसे ही गलत साबित कर दो। कुछ कर दो मेरे साथ। (श्रोतागण हँसते हैं) आमंत्रण है सब भूत-प्रेत, झाड़-फूँक और जीवात्मा और सूक्ष्म शरीर वालों को। मुझ पर भी किसी साये का, भूत-प्रेत का, देवी-देवता का हमला करा ही दो न। मार ही डालो! या पागल कर दो, या कुछ भी कर दो। चुनौती है।
जितने घूम रहे हैं ये कहते हुए कि अभिमंत्रित जल फेंकेंगे तो तुम्हारा बुरा हो जाएगा या कल्याण हो जाएगा। आज तक भी जितनी बातें कहीं गई हैं इस तरीक़े की, उनके बिलकुल उल्टा ही चला हूँ। अब राम जाने कि मेरा भला हुआ है कि बुरा हुआ है? पर आज जहाँ भी हूँ, वो इन सब अंधविश्वासों के बिलकुल उलट चल करके हूँ।
न ज़िंदगी में कोई मंत्र मारा, न जंतर मारा, न तंत्र मारा; न किसी पत्थर को अहमियत दी, न कोई कभी अँगूठी डाली; न माला, न धागा; न सही दिशा में सिर करके सोया, न सही समय पर उठा, मुझे तो ज़बरदस्त सज़ा मिलनी चाहिए। मुझसे ज़्यादा किसने उल्लंघन किया है सब जंतर-मंत्र, जादू-टोने का! और अगर अभी तक नहीं मिली है तो मैं आमंत्रित कर रहा हूँ — दीजिए मुझे सज़ा।
जो बताते हैं कि आँख बंद करके उड़ जाते हैं वो। आइए सामने आइए, स्वागत है आपका। शरबत पिलाएँगे आपको, इतनी दूर से उड़कर आए हैं, जेट लैग (यात्रा थकान) हो रहा होगा।