आपके बच्चे आपकी सुनते क्यों नहीं?
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प्रश्नकर्ता: पेरेंटिंग को निपुणता से कैसे किया जाए? कभी-कभी हम चाहते भी हैं, करना, पर हम कर नहीं पाते, क्योंकि बाहर की स्थितियां ऐसी होती हैं।
आचार्य प्रशांत: जो आपने बाहरी स्थितियों के बारे में कहा, वो बिलकुल ठीक है। लेकिन निष्कर्ष दूसरा भी हो सकता है। आप यूँ ही किसी बाज़ार के बीच में से निकल रहे होते हैं, वहाँ चकाचौंध होती है, वहाँ चारों तरफ रोशनी है, बहुत सारी बत्तियां जगमगा रही हैं, तो किसी विशेष व्यक्ति पर ध्यान जाता है क्या? किसी रोशनी पर ध्यान जाता है?
क्यों नहीं जाता? क्योंकि हर तरफ रोशनी ही रोशनी है। जहाँ इतनी रोशनियाँ हैं, वहाँ पर कोई एक रोशनी विशेष कैसे हो सकती है? कोई एक बल्ब, दिया, ख़ास कैसे हो सकता है?
अब ज़रा एक दूसरा दृश्य देखिये, कभी आप पहाड़ों में गए होंगे, और रात में पहाड़ी मार्ग से यात्रा कर रहे होंगे, तो दिखाई पड़ता है क्या, कि सामने पहाड़ पसरा हुआ है, और उस पर सिर्फ दूर-दूर दो प्रकाश स्रोत दिखाई दे रहे हैं। ऐसा कभी हुआ है? घुप्प अँधेरा है, मान लीजिये चांदनी रात नहीं है, और कोई दो रोशनियाँ दिखाई पड़ रही हैं। पूरा विस्तृत पहाड़ है, कालिमा और कोई दो जगह पर प्रकाश दिखाई पड़ रहा है।
तब उन दोनों रोशनियों पर नज़र जाती है कि नहीं जाती? आप की आँख कहाँ जा कर ठहरती है? फैली हुई कालिमा पर, या उन टिमटिमाते बिंदुओं पर?
प्र: जहाँ रोशनी है।
आचार्य: अब वही रोशनी तो बाज़ार में थी, तब वो महत्वपूर्ण क्यों नहीं लगी? मतलब अँधेरा जितना घना होता है, रोशनी की क़ीमत उतनी ही ज़्यादा हो जाती है।
तो बच्चों और परिवार में भी यही होना होता है। बच्चा भले ही ये देख रहा हो कि बाहर अँधेरा घना है पर अगर उसे भीतर उजाला दिखाई देगा, एक भी प्रकाशबिन्दु दिखाई देगा; तो अब वह उस प्रकाशबिन्दु की और इज़्ज़त करेगा, इसलिए क्योंकि बाहर अँधेरा घना है।
जैसे आप जब पहाड़ को देखते हो, तो उस छोटी सी, टिमटिमाती हुई रोशनी की इज़्ज़त इसलिए करते हो, क्योंकि वो अँधेरे के बीचोंबीच है। कि इतने अँधेरे के होते हुए भी, एक रोशनी है, क्या बात है। वैसे ही जब आपका बच्चा ये देखेगा कि बाहर कितना अँधेरा है, लेकिन आप में फिर भी रोशनी है, तब वो आपकी और ज़्यादा इज़्ज़त करेगा। तो बाहर के अँधेरे को, आप प्रतिकूल परिस्थिति ना माने। बाहर का अँधेरा आपकी रोशनी को, और ज़्यादा प्रखर कर के दिखा देगा। आप समझ रहे हैं?
कोई दिन भर झूठ में जीता हो और उसे मिल जाये कोई सच बोलने वाला, तो उस सच बोलने वाले की क़ीमत और ज़्यादा हो जाएगी कि नहीं? और वो जो एक व्यक्ति जो सच में है, वो दिन भर के झूठ पर भारी पड़ेगा या नहीं?