आनंद सफलता की कुंजी है

प्रश्नकर्ता: सर, ऐसा कहा जाता है कि कठिन परिश्रम ही सफलता की कुंजी है। क्या केवल कठिन परिश्रम ही सफ़लता की कुंजी है?

आचार्य प्रशांत: हिमांशु का सवाल है कि हमें आज तक यही सिखाया गया है कि श्रम सफलता की कुंजी है। हिमांशु जिन्होंने भी ये बोला वो बड़े बेवक़ूफ़ लोग थे। और दुनिया में बेवकूफों की कमी नहीं है । श्रम से कोई कामयाबी नहीं मिलती ।

मैं जब छोटा था, सातवीं-आठवीं में था, तो मैं भी अपनी कॉपी में ये ही लिखता था। बड़ा समय लगा ये समझने में कि कितनी झूठी बात है ये। एक नया सूत्र देता हूँ, इसको पकड़ लो। समझोगे तो पकड़ ही लोगे। आनंद ही सफलता की कुंजी है।

तुम तब तक किसी काम में सफल नहीं हो सकते जब तक तुम उसे करने में आनंद न महसूस करो।

जिस काम को करने में तुम्हें गहरा आनंद मिलता है, उसमें सफलता पीछे-पीछे चली ही आएगी। तब तुम्हें श्रम करना नहीं पड़ेगा कि श्रम कर रहे है, अपने आप हो जाएगा। और तुम कहोगे कि श्रम किया ही नहीं, हम तो खेल रहे थे।

खेलने जाते हो मैदान में, कभी कहते हो कि श्रम किया? और दिन भर कॉलेज में कुछ न कर रहे हो, तो भी बड़ी थकान हो जाती है। करते कुछ नहीं हो मटरगश्ती के अलावा। श्रम किया नहीं जाता। तुमसे ज़्यादा परिश्रमी तो ये गधे होते हैं। इनसे ज़्यादा श्रम तो तुम कभी नहीं कर पाओगे। उससे ज़्यादा श्रम कभी कर पाओगे? नहीं कर पाओगे। तो फिर वो तो बड़ा कामयाब है तुम्हारी नज़रों में। वैसा ही जीवन हो जाए। घूम रहे हैं धूप में, सारी दुनिया का बोझ हम उठाते हैं। ये बड़े पागल…

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आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org