आध्यात्मिक सूत्र क्या हैं?

आचार्य प्रशांत: सूत्र के साथ दो बातें हैं,

  1. वो अति शुद्ध होता है। वो अति सूक्ष्म होता है और छोटा होता है, लघु होता है।
  2. अपने आप में उसकी कोई उपयोगिता नहीं होती। यूज़लेस होता है।

पर यदि वो बैठ जाता है आपके भीतर, तो आपका मन ऐसा हो जाता है फ़िर कि वो जीवन को उपयोगी ढंग से जी सकता है। और अगर आप यह जानना चाहते हैं कि कोई सूत्र आप वाकई समझे हैं कि नहीं, तो इसके अलावा और कोई तरीका नहीं है जाँचने का — क्या उस सूत्र का प्रयोग, उपयोग, मेरे जीवन में उतरा है?

सूत्र होगा अति शुद्ध। भाई! आप गणित का प्रश्न पत्र देने जाते हैं, आपको सारे फोर्मुले (सूत्र) पता हैं पर उनकी एप्लिकेशन (प्रयोग) नहीं पता तो क्या होगा? क्या होगा?

प्रश्नकर्ता: समझना व्यर्थ है।

आचार्य जी: व्यर्थ है न। हमारे साथ यही हो रहा है यहाँ पे। आपको यह (सूत्र) तो पता है, पर यह नहीं पता कि ज़िन्दगी में इसका करूँ क्या! तो ज़िन्दगी में खूब मार खाते हैं। कोई भी आके बेवक़ूफ़ बना के चला जाता है। अभी यही तो बोल रहा था। जिसको यह समझ में आया हो वो कदम-कदम पर बेवक़ूफ़ कैसे बनेगा? यहाँ तो आज के यह लड़के हमें चरा रहे हैं और हमें समझ में भी नहीं आता कि वो चरा गया।

जो सत्य के समीप होता है वो संसार पर राज करता है।

वो संसार में बेवक़ूफ़ बन के नहीं घूमता इधर-उधर कि जिधर गए वहीं धोखा खाया। जिसने चाहा उसी ने नचाया। उसे संसार की एक-एक चाल समझ में आती है।

--

--

आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org