आध्यात्मिक ग्रंथों का वास्तविक उपयोग

धर्म ग्रंथ इसलिए नहीं होते हैं कि तुम उनका इस्तेमाल अपने सांसारिक धंधों को और चमकाने के लिए करो, आध्यात्मिक ग्रंथ होते हैं ताकि तुम्हारे सांसारिक धंधों की निस्सारता तुमको दिखा सकें।

धर्म ग्रंथ इसलिए नहीं होते कि तुम्हारा जो किस्सा चल रहा है, तुम्हारी जो व्यवस्था चल रही है, वो और चहक के, बहक के और उन्मत्त होकर चले।

अध्यात्म का यह काम नहीं है कि तुम्हारे चलते हुए चक्कों में वो ग्रीस और तेल डाल दे, अध्यात्म का काम है तुमसे पूछना कि ये तुम्हारी गाड़ी जा किधर को रही है? क्यों जा रही है? क्या पाओगे? गाड़ी का चालक किसको बना दिया है?

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आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org