आदर्श जीवन कैसा हो?

प्रश्न: आदर्श जीवन के लिये क्या परिभाषा है एक व्यक्ति के लिए कि उसके जीवन में ये ये हुआ था और वो आदर्श जीवन जिया?

आचार्य प्रशांत: तो बड़ी सुविधा हो जाएगी ना? तुम्हें बता दिया है कि ऐसा है आदर्श जीवन, अब तुम्हें कुछ विचार नहीं करना। अब तुम्हें ज़रा भी जागृति नहीं चाहिये। अब तुम्हें क्या मिल गया एक? टेम्पलेट। आदर्श जीवन ऐसा है — सुबह साढ़े सात बजे बिलकुल, पेट हल्का कर लो, तुम्हें लगी है कि नहीं लगी है, कोई अंतर ही नहीं पड़ता। आदर्श जीवन पता तो चल गया। जीवन अगर आदर्श है तो फिर उसमें जो कुछ है वो सब आदर्श होगा। फिर आदर्श नौकरी होगी, आदर्श कन्या होगी, आदर्श घर होगा, आदर्श भोजन होगा, आदर्श वजन होगा। अब कहाँ आवश्यकता है तुम्हारे चैतन्य निर्णय की? अब कहाँ आवश्यकता है कि तुम आँख खोल कर के जियो? अब तुम्हें आँख नहीं, आदर्श काफी है। करोगे क्या आदर्श का?

सबसे पहले तो मैं ये पूछूँगा कि आदर्श सवाल कौन सा होता है? और मैं जवाब ही नहीं दूँगा जब तक आदर्श सवाल नहीं आएगा। और अगर आदर्श सवाल आ ही गया, तो फिर उसे जवाब क्यों चाहिये? तुम इतनी बातें पूछते हो, जिसमें से निन्यानवे प्रतिशत बकवास होती हैं, मैंने कभी कहा कि आदर्श प्रश्न पूछो?

(श्रोतागण हँसते हैं)

पर तुम्हें आदर्श जीवन चाहिये।

जो है जैसा है, यही है। देखो इसे, समझो इसे, और पार निकल जाओ इसके। आदर्श की प्रतीक्षा में रह गए, तो प्रतीक्षा मात्र मिलेगी।

और उससे भी ज़्यादा खतरनाक होगा अगर आदर्श मिल गया। क्योंकि फिर तुम मुर्दा हो गए। आदर्शवादियों से ज़्यादा मुर्दा कोई नहीं होता। ये है आदर्श (टेबल को इंगित करते हुए)। आदर्श समझते हो ना? एक नमूना मन में था और उसके अनुसार कुछ तैयार कर दिया गया। ये जीवित नहीं है। इसका पहले से ही आदर्श नमूना किसी के मन में था। और उस कलाकार ने, बढ़ई ने, उस नमूने के अनुसार ये तैयार कर दिया, ये आदर्श है। ऐसा होना चाहते हो?

माँ बाप अक़सर यही करते हैं, उनके दिमाग में पहले से ही आदर्श नमूना होता है, लड़के को ऐसा तैयार करेंगे। और फिर लड़का ऐसा तैयार हो जाता है, (एक श्रोता की तरफ इंगित करते हुए) और फिर सब जाते हैं और उस पर अपनी तशरीफ़ जीवन भर रखते हैं ।

(श्रोतागण हँसते हैं)

आदर्श लड़के हो क्या तुम भी?

कई होते हैं, विद्यालय वगैरह जहाँ ये सब पढ़ाया जाता है — आदर्श राजू, आदर्श ललिता। और आदर्श राजू को बता दिया जाता है कि आदर्श लड़की ललिता जैसी होती है। और आदर्श लड़की को पहले ही पता है कि आदर्श लड़का माने राजू। अब हो गया। आदर्श कुर्सी पर आदर्श तशरीफ़। सब…

आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org

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