आत्मा को प्रकट न होने देना आत्महत्या है

आचार्य प्रशांत: फूल खिलकर झड़ जाए, कोई बात नहीं, सुन्दर घटना है। पर कली को ही मसल दिया जाए तो? और उसमें कली का ही सहयोग हो, कली की हामी हो तो? कि “हाँ, मसल दो मुझे”। उसे पता है अच्छे से कि जैसा जीवन वह जी रही है, जो कदम वह उठा रही है, उसमें मसल दी जाएगी, पर फिर भी वह कदम उठाए तो? इसको भ्रूण हत्या नहीं कहेंगे आप? किसी अजन्मे शिशु की गर्भ में हत्या की जाए तो उसे बुरा मानते हैं, पाप कहते हैं, अपराध कहते हैं, और जो हम अपनी…

आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org