आत्महत्या समाधान नहीं!

आत्महत्या समाधान नहीं!

प्रश्नकर्ता: प्रणाम आचार्य जी, मैं आपको तीन-चार साल से सुन रही हूँ। फ़र्स्ट ऑफ़ ऑल थैंक यू ऐंड आई लव यू; ऐंड माई क्वेश्चन इज़ रिलेटेड टु वन ऑफ़ द थिंग दैट यू जस्ट डिस्कस्ड अबाउट, लाइक (सबसे पहले शुक्रिया, और आपसे काफ़ी प्रेम है। मेरा प्रश्न उस एक चीज़ से संबंधित है जिसके बारे में आपने अभी चर्चा की कि) लड़ो, लड़ो, लड़ो। मैं उसी स्टेज (पड़ाव) में अभी हूँ।

मैंने बचपन से सत्संग, सुखमनी, कथा — सब कर रही थी, जब तक मुझे लग रहा था कि वो मुझे समाधान देगा, पर वो नहीं दे पाया। देन आई फॉलोड सेट ऑफ़ प्रिंसिपल्स (फिर मैंने कुछ सिद्धांतों का पालन किया) जो टीचर्स बोलते थे, कि झूठ मत बोलो या ये चीज़ फ़ॉलो करो; मैंने वो भी फ़ॉलो करा, उसने भी काम नहीं किया।

फिर मैं बहुत सारे गुरुओं के पास जाती थी और सत्संग में बैठी। मुझे लगा शायद वो समझा रहे हों, मुझे समझ नहीं आता। मैंने बहुत कोशिश की, मुझे संतुष्टि और जुड़ाव नहीं मिल रहा था, बट फ़र्स्ट टाइम व्हेन आई हर्ड यू, आई गॉट कनेक्टेड (लेकिन पहली बार जब मैंने आपको सुना तो जुड़ाव हो गया)। मतलब आपको बहुत समय तक मैंने सुना, सुना, सुना, और मेरे बहुत सारे प्रोफ़ेशनल (पेशेवर), पर्सनल (निजी), लाइफ़ (जीवन) में बहुत अच्छा ग्रोथ (वृद्धि) भी हुआ, ऐंड आई वॉज़ एंजॉयिंग आल्सो (और मुझे आनंद भी आ रहा था)।

फिर एक ऐसा स्टेज (पड़ाव) आया जहाँ पर आई फ़ेल्ट लाइक डिस्कनेक्टेड (मुझे अलगाव-सा लगने लगा)। रिलेशनशिप इम्प्रूव्ड विद माई मम ऐंड डैड, एवरीथिंग वॉज़ गोइंग गुड, बट आई गॉट डिटैच्ड फ्रॉम एवरीथिंग (मेरे माँ-बाप के साथ रिश्ते सुधरे, सबकुछ अच्छा चल रहा था, पर…

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आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org