आचार्य जी से जो चाहा था वो मिला नहीं
मेरे पास लोग आते हैं और कई बार धोखे से, इमानदारी के किसी क्षण में कह ही जाते हैं कि, “आचार्य जी आपके पास आये, बड़ी सांगत की, बड़ी बातें सुनी, बड़ा पालन भी किया, लेकिन वो सब नहीं मिला जो हमें चाहिए था।” बड़ा दर्द रहता है लोगों के दिलों में।
मैं पूछता हूँ कि इस बात के लिए शुक्रगुज़ार नहीं हो तुम मेरे, कि तुम्हें वो सब नहीं मिला जो तुम्हें चाहिए था! मेरा काम तुम्हें वो देना नहीं है जो तुम चाहते हो। तुम बस ये…